वित्त समावेशन संतृप्ति शिविर 2025 को लेकर आज एक महत्वपूर्ण प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की गई जिसमें सरकार द्वारा वित्तीय सेवाओं को देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दोहराया गया। इस शिविर का उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक बैंकिंग, बीमा, पेंशन तथा अन्य वित्तीय सुविधाएं पहुंचाना है। इस पहल को एक राष्ट्रव्यापी अभियान के रूप में देखा जा रहा है जो भारत के समावेशी विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
ब्रीफिंग के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वित्त समावेशन शिविरों के ज़रिये उन लोगों को टारगेट किया जा रहा है जो अभी तक औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से दूर हैं। इसमें दिहाड़ी मजदूर, किसान, महिला स्वयं सहायता समूह, छोटे व्यापारी और जनजातीय समुदाय के लोग शामिल हैं। उनके लिए खासतौर पर डिजिटलीकरण और आधार-आधारित सेवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हो।
सरकार ने इन शिविरों के माध्यम से जनधन खातों को सक्रिय करने, बीमा योजनाओं के लाभ पहुँचाने और डिजिटल भुगतान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया है। इन टीमों में बैंकों के प्रतिनिधि, बीमा कंपनियों के अधिकारी, CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) संचालक और वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षक शामिल हैं। इनका उद्देश्य न केवल सेवाएं देना है, बल्कि लोगों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना भी है।
प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया कि इस बार संतृप्ति शिविरों को सिर्फ एकदिवसीय आयोजन तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि यह अभियान हफ्तों तक चलेगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें। शिविरों को पंचायत स्तर तक ले जाने की योजना है, और इसके लिए राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को भी जिम्मेदारी दी गई है। हर जिले को लक्ष्य दिया गया है कि वह अपने स्तर पर शिविर आयोजित कर रिपोर्टिंग करे।
अधिकारियों ने बताया कि इस पहल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मॉनिटरिंग पोर्टल भी शुरू किया गया है जो रियल टाइम में हर शिविर की प्रगति को रिकॉर्ड करेगा। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी और जरूरत पड़ने पर तत्काल हस्तक्षेप भी संभव होगा। इसमें डेटा एंट्री, सेवा वितरण की पुष्टि और लाभार्थियों की फीडबैक जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।
इस प्रेस ब्रीफिंग में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ कई बैंकों के चेयरमैन, बीमा कंपनियों के सीईओ और नीति आयोग के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। सभी ने इस अभियान को गरीबों और पिछड़े वर्गों के लिए एक “वित्तीय क्रांति” बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर से मजबूत करने के लिए वित्तीय समावेशन बेहद जरूरी है।
एक विशेष चर्चा इस बात पर हुई कि कैसे ग्रामीण महिलाएं इस शिविर के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सकेंगी। महिला स्वयं सहायता समूहों को बैंक लिंकेज, लोन सुविधाएं और डिजिटल भुगतान के प्रशिक्षण देकर उन्हें छोटे स्तर पर उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अलग से महिला सहायता काउंटर भी बनाए गए हैं।
डिजिटल इंडिया मिशन से जुड़े प्रतिनिधियों ने बताया कि शिविरों में डिजिलॉकर, आधार-सेवा अपडेट, मोबाइल बैंकिंग ट्रेनिंग जैसे डिजिटल सशक्तिकरण उपकरणों का विशेष रूप से उपयोग किया जाएगा। इससे ग्रामीण इलाकों में भी लोग कैशलेस ट्रांजैक्शन की तरफ बढ़ेंगे और भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम होगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल साक्षरता वित्तीय समावेशन का आधार है।
प्रेस ब्रीफिंग में यह भी बताया गया कि इन शिविरों में छात्रों, युवाओं और स्वयंसेवकों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, ताकि जागरूकता फैलाने में तेज़ी लाई जा सके। पोस्टर, पंपलेट, नुक्कड़ नाटक, और सोशल मीडिया अभियानों के ज़रिए लोगों को शिविरों की जानकारी दी जाएगी। इन प्रयासों से यह अभियान एक जनआंदोलन का रूप ले सकता है।
अंत में प्रेस ब्रीफिंग में इस बात पर बल दिया गया कि यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि “सबका साथ, सबका विकास” की सच्ची भावना का प्रतीक है। यदि भारत को एक आत्मनिर्भर और समावेशी अर्थव्यवस्था बनाना है, तो हर नागरिक को वित्तीय रूप से जागरूक, सक्षम और सुरक्षित बनाना होगा। वित्त समावेशन संतृप्ति शिविर 2025 इस दिशा में एक ठोस और ऐतिहासिक कदम है।
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