घिच पिच – एक दिल को छू लेने वाली फिल्म, जो पिता और बेटे के रिश्ते के अनकहे पहलुओं को उजागर करती है, भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। टेक-उद्यमी से फिल्ममेकर बने अंकुर सिंगला की यह पहली फीचर फिल्म है, जिसने पहले ही सिनिवेस्चर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (CIFF) में अपने वर्ल्ड प्रीमियर से दर्शकों का दिल जीत लिया था।
यह कहानी 90 के दशक के आखिर में चंडीगढ़ की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसमें तीन किशोर लड़कों की जिंदगी दिखाई गई है। दोस्ती, बगावत, बड़े होने की उलझनें और पिता के साथ खिंचे हुए रिश्ते – फिल्म इन सब भावनाओं को संवेदनशीलता से पेश करती है। इसमें उस दौर की परवरिश, समाज की अपेक्षाएं और दबे हुए जज़्बात बखूबी झलकते हैं।
अंकुर सिंगला, जो पहले एक वकील थे और जिन्होंने अपना सफल स्टार्टअप अमेज़न को बेचा, ने ‘घिच पिच’ को अपनी यादों और चंडीगढ़ के प्रति अपने प्यार से गढ़ा है। उनके अनुसार यह फिल्म उनके बचपन के दोस्तों और उस दौर की पैरेंटिंग स्टाइल से प्रेरित है। लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपनी कहानियों को खोजने और सिनेमा में उतरने का हौसला मिला।
फिल्म की शैली भारतीय इंडी फिल्मों जैसे उड़ान और हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी से प्रभावित है, जो मुख्यधारा की अपील और निजी यथार्थ के बीच संतुलन बनाती है। इसे “माइंडी” सिनेमा भी कहा जाता है – यानी माइंड और इंडी का मेल।
‘घिच पिच’ नाम अपने आप में एक रूपक है, जिसका मतलब है भावनाओं का जाम – जैसे इन किशोर किरदारों की जिंदगी में परंपरा और स्वतंत्रता के बीच का टकराव। यह फिल्म चंडीगढ़ को सिर्फ एक लोकेशन नहीं बल्कि एक जीता-जागता किरदार बनाकर पेश करती है।
फिल्म में कैपिटल कॉम्प्लेक्स की अनूठी खूबसूरती, रोज़ गार्डन का सुकून, सुखना लेक का आकर्षण और ‘गहरी रूट’ की मस्ती – सबको कैमरे में बड़े प्यार से कैद किया गया है। यह उन लोगों के लिए भी एक विजुअल ट्रीट है जिन्होंने 90 के दशक का चंडीगढ़ जिया है।
इस फिल्म का एक खास पहलू है दिवंगत अभिनेता नितेश पांडे की आखिरी फीचर फिल्म में उपस्थिति। वे राकेश अरोड़ा के किरदार में एक दुर्लभ स्नेही पिता का रूप निभाते हैं, जो उस दशक में कम ही देखने को मिलता था।
मुख्य कलाकारों में शिवम कक्कड़ (गौरव अरोड़ा – गुस्सैल लेकिन अपने पिता से गहरा लगाव रखने वाला किशोर), कबीर नंदा (गुरप्रीत सिंह – संवेदनशील सिख लड़का और उभरता क्रिकेटर), और आर्यन राणा (अनुराग बंसल – पढ़ाई में अच्छा लेकिन पिता की अपेक्षाओं के बोझ तले दबा लड़का) शामिल हैं।
इसके अलावा गीता अग्रवाल शर्मा, रितु अरोड़ा के रूप में परिवार को संभालने वाली मजबूत मां का किरदार निभाती हैं, जबकि सत्यजीत शर्मा, 90 के दशक के अनुशासनप्रिय पिता नरेश बंसल के रूप में प्रभाव छोड़ते हैं।
‘घिच पिच’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि उन भावनाओं का आईना है जो अक्सर बाप-बेटे के रिश्तों में अनकही रह जाती हैं। यह बीते दौर की खुशबू, उलझनों और प्रेम को पर्दे पर उतारकर दर्शकों को एक भावनात्मक यात्रा पर ले जाती है।
More Stories
सर्गुन मेहता की चमक से सजी फिल्मफेयर पंजाबी 2025 की शाम!
चंडीगढ़ समर कार्निवल में Snow World बना हॉट स्पॉट!