कसौली की खूबसूरत वादियों में एक बार फिर साहित्य, संवाद और विचारों का उत्सव सजने जा रहा है। खुशवंत सिंह लिटफेस्ट 2025 का चौदहवाँ संस्करण 10 से 12 अक्तूबर तक आयोजित होगा, जो हर वर्ष की तरह इस बार भी शब्दों की शक्ति और सोच की गहराई का उत्सव मनाएगा। तीन दिनों तक चलने वाला यह आयोजन न केवल साहित्यप्रेमियों बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए खास होगा जो समाज, संस्कृति और बदलाव से जुड़ी चर्चाओं में दिलचस्पी रखता है।
इस बार का विषय है “Voices of Tomorrow — Navigating the Future Through Words”, यानी भविष्य की आवाज़ें जो शब्दों के माध्यम से दिशा तय करेंगी। यह थीम आज के दौर में और भी प्रासंगिक है, जब संवाद, संवेदना और विचारों की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है। फेस्टिवल का उद्देश्य यही है — ऐसी आवाज़ों को सामने लाना जो न केवल बोलती हैं बल्कि सोच को भी जगाती हैं।
फेस्टिवल डायरेक्टर राहुल सिंह ने कहा है कि “शब्दों में भविष्य को रोशन करने की शक्ति होती है” और यही इस आयोजन का मूल दर्शन है। खुशवंत सिंह लिटफेस्ट वर्षों से सिर्फ एक साहित्यिक आयोजन नहीं, बल्कि विचारों का मंच बन चुका है, जहाँ लेखक, कलाकार, नेता और युवा एक साथ मिलकर समाज के भविष्य पर चर्चा करते हैं।
इस वर्ष भी कई चर्चित नाम कसौली पहुँच रहे हैं। इनमें अभिनेता अमोल पालेकर, लेखिका शोभा डे, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, जनरल एम.एम. नरवणे और अभिनेत्री पूजा बेदी प्रमुख आकर्षण रहेंगे। इनके अलावा ए.एस. दुलत, मणि शंकर अय्यर, हरिंदर बावेजा और संगीता वॉल्ड्रन जैसे चर्चित वक्ता भी विचार साझा करेंगे।
हर सत्र में एक नया दृष्टिकोण देखने को मिलेगा। चर्चाएँ राजनीति, साहित्य, पर्यावरण, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक समानता जैसे विविध विषयों पर होंगी। साथ ही मर्डर मिस्ट्री, जासूसी थ्रिलर, आत्मकथा और आत्म-विकास जैसी विधाओं पर भी गहन विमर्श होगा। यह विविधता ही इस फेस्टिवल को खास बनाती है।
हर सुबह शास्त्रीय संगीत की मधुर धुनों से शुरुआत होगी और शामें सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी होंगी। इस बार विशेष कलाकारों में रियर एडमिरल निर्मला कन्नन, ध्रुव केंट, राधिका सूद नायक, जूही बब्बर और रेखा राज शामिल हैं, जो अपनी प्रस्तुतियों से माहौल को और भी खास बनाएँगे।
केएसएलएफ की एक अनोखी परंपरा भी है — हर वक्ता के नाम पर एक पेड़ लगाया जाता है। अब तक दो हज़ार से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं, जो इस फेस्टिवल के पर्यावरण के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं। यह पहल केवल एक प्रतीक नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति आभार और ज़िम्मेदारी का संदेश है।
इस साल की एक और बड़ी उपलब्धि यह रही कि केएसएलएफ का सातवाँ लंदन संस्करण सफलतापूर्वक आयोजित हुआ और पहली बार इसका ऑक्सफोर्ड में पदार्पण हुआ। इससे यह फेस्टिवल न सिर्फ भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना चुका है, और भारतीय साहित्य की आवाज़ अब वैश्विक मंचों तक पहुँच रही है।
फेस्टिवल टीम की सदस्य ऐश्वर्या कुमार ने कहा कि केएसएलएफ सिर्फ एक लिटफेस्ट नहीं, बल्कि मानवता और विविधता का उत्सव है। यह खुशवंत सिंह की उस विचारधारा को आगे बढ़ाता है जिसमें मानवीयता, हास्य और बौद्धिक स्वतंत्रता के लिए गहरी श्रद्धा निहित है।
कसौली लिटफेस्ट आज सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है — शब्दों के ज़रिए सोच को बदलने का, संवाद के ज़रिए समाज को जोड़ने का। यह वह मंच है जहाँ भविष्य की आवाज़ें जन्म लेती हैं, और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
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