देश में लगातार सामने आ रहे बलात्कार के मामलों ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। सवाल यह नहीं है कि अपराधी ने अपराध क्यों किया, बल्कि यह है कि अपराध के बाद उसे संरक्षण कौन देता है। Live Khabar के चीफ एडिटर और सामाजिक कार्यकर्ता फरहान खान ने इस विषय पर गंभीर चर्चा करते हुए कहा कि असली संकट सत्ता और सिस्टम के गठजोड़ का है।
फरहान खान ने कहा कि हर बार जब कोई जघन्य अपराध सामने आता है, तो पीड़िता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। उसकी चरित्र, पहनावे और जीवनशैली पर सवाल उठाए जाते हैं, जबकि अपराधी के राजनीतिक और सामाजिक संबंधों पर पर्दा डाल दिया जाता है।
चर्चा के दौरान यह सवाल प्रमुख रूप से उठा कि क्या न्यायपालिका बलात्कार जैसे मामलों में जरूरत से ज्यादा नरमी बरत रही है। लंबी सुनवाई, जमानत में देरी नहीं बल्कि आसानी, और फैसलों में वर्षों का अंतर पीड़ितों के लिए न्याय को और कठिन बना देता है।
फरहान खान ने कहा कि जब आरोपी प्रभावशाली होता है, तब जांच की दिशा बदल जाती है। पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो जाती है और सबूत कमजोर करने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। इससे पीड़िता का न्याय प्रणाली से विश्वास उठता जा रहा है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सत्ता में बैठे लोग ऐसे मामलों में स्पष्ट और सख्त रुख क्यों नहीं अपनाते। कई बार राजनीतिक संरक्षण के कारण अपराधी खुलेआम घूमते रहते हैं, जिससे समाज में गलत संदेश जाता है कि ताकतवर कानून से ऊपर है।
चर्चा में यह तथ्य सामने आया कि बलात्कार केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक और संस्थागत विफलता का परिणाम है। जब तक शिक्षा, संवेदनशीलता और जवाबदेही को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसे अपराध रुक नहीं सकते।
फरहान खान ने न्यायपालिका से अपील की कि ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई और कठोर सजा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के बराबर है, और यह पीड़ितों के मानसिक और सामाजिक जीवन को बर्बाद कर देता है।
उन्होंने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि टीआरपी के लिए सनसनी फैलाने के बजाय, मीडिया को सत्ता से सवाल पूछने चाहिए। बलात्कारी से ज्यादा जरूरी है उन लोगों को बेनकाब करना जो उसे संरक्षण देते हैं।
इस चर्चा में यह भी कहा गया कि समाज को चुप रहने की आदत छोड़नी होगी। जब तक आम नागरिक आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक सत्ता और सिस्टम पर दबाव नहीं बनेगा और न्याय अधूरा ही रहेगा।
अंत में फरहान खान ने कहा कि यह लड़ाई केवल एक व्यक्ति या संगठन की नहीं है, बल्कि पूरे समाज की है। अगर आज सवाल नहीं पूछे गए, तो कल किसी भी घर की बेटी सुरक्षित नहीं रहेगी। अब समय आ गया है कि बलात्कारी नहीं, बल्कि उसे संरक्षण देने वाली सत्ता से कठोर सवाल किए जाएं।

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