Rana Preet Gill

एक भूला-बिसरा विद्रोह: राणा प्रीत गिल की दृष्टि में ग़दर आंदोलन

एक भूला-बिसरा विद्रोह: राणा प्रीत गिल की दृष्टि में ग़दर आंदोलन!

चंडीगढ़, 1 जून 2025 — चंडीगढ़ प्रेस क्लब में प्रसिद्ध लेखिका और पशु चिकित्सक अधिकारी राणा प्रीत गिल की पांचवीं पुस्तक ‘द ग़दर मूवमेंट’ का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। यह पुस्तक ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध लड़े गए एक साहसी लेकिन उपेक्षित क्रांतिकारी आंदोलन की कहानी को नई दृष्टि से सामने लाती है।

राणा प्रीत गिल ने इस पुस्तक के लिए गहराई से शोध किया और इसे एक सजीव शैली में प्रस्तुत किया है। यह कृति 1913 में अमेरिका में बसे भारतीय प्रवासियों द्वारा शुरू किए गए अंतरराष्ट्रीय विद्रोह की दास्तान बयान करती है। यह आंदोलन उस समय की क्रांतिकारी सोच और जज़्बे का प्रतीक है।

ग़दर आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश भारतीय सेना के भीतर विद्रोह भड़काना था, जिसके लिए ग़दरियों ने भारत में हथियारों की तस्करी की योजना बनाई थी। लाला हरदयाल और करतार सिंह सराभा जैसे क्रांतिकारी इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे। भले ही यह विद्रोह सफल नहीं हो पाया, पर इसने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।

पुस्तक का विमोचन श्री राहुल भंडारी, आईएएस, प्रमुख सचिव, पशुपालन, डेयरी विकास एवं मत्स्य विभाग, पंजाब सरकार द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. हरीश पुरी और प्रो. चमन लाल (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, जेएनयू और भगत सिंह अभिलेखागार के मानद सलाहकार) भी उपस्थित थे।

दोनों इतिहासकारों ने राणा प्रीत गिल के प्रयास की सराहना की और इसे भारतीय क्रांतिकारी इतिहास के एक भूले-बिसरे अध्याय को दस्तावेज़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पाठकों को उस आंदोलन से परिचित कराती है जो अक्सर इतिहास की मुख्यधारा से बाहर रह गया।

अपने संबोधन में राणा प्रीत गिल ने कहा, “यह पुस्तक उन भूले हुए नायकों को मेरी श्रद्धांजलि है जिन्होंने विदेशी धरती से एक स्वतंत्र भारत का सपना देखा। उनके साहस और बलिदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए।” उनकी आवाज में इतिहास के प्रति गहरी संवेदना झलकती थी।

उन्होंने आगे कहा, “ग़दरी अपने लक्ष्य में भले ही सफल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने वह चिंगारी जलाई जिसने भगत सिंह जैसे आने वाले क्रांतिकारियों को प्रेरणा दी। उनका इतिहास बार-बार सुनाए जाने योग्य है।” उनकी बातों ने दर्शकों को आंदोलित कर दिया।

राणा प्रीत गिल इससे पहले भी साहित्यिक लेखन में सक्रिय रही हैं। उनके चार पुस्तकें पहले प्रकाशित हो चुकी हैं: Those College Years, The Misadventures of a Vet, Maya, और Finding Julia (एक लेख संग्रह)। उनका लेखन कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहा है।

द ग़दर मूवमेंट केवल एक इतिहास-आधारित पुस्तक नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा वृत्तांत है जो हमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम की उस शाखा से जोड़ता है जो विदेश में पनपी और वहीं से भारत में क्रांति लाने का सपना लेकर आगे बढ़ी। यह पुस्तक न सिर्फ इतिहासप्रेमियों बल्कि हर भारतीय को पढ़नी चाहिए।

इस पुस्तक के माध्यम से राणा प्रीत गिल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इतिहास को दोबारा जीवित करना केवल सूचनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी है। द ग़दर मूवमेंट उन गुमनाम वीरों की गाथा है, जो भले ही इतिहास की किताबों में न हों, लेकिन देश की रगों में उनका खून अब भी बहता है।