मोहाली के टच क्लिनिक में एक नि:शुल्क सर्वाइकल कैंसर वैक्सीनेशन ड्राइव का आयोजन किया गया, जिसमें 50 वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की किशोरियों को यह जीवनरक्षक टीका लगाया गया। यह अभियान महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
इस वैक्सीनेशन अभियान का आयोजन टच क्लिनिक ने रोटरी – AOGIN (एशिया ओशियानिया रिसर्च ऑर्गनाइजेशन इन जेनाइटल इन्फेक्शन एंड नियोप्लासिया) और रोटरी क्लब चंडीगढ़ के सहयोग से किया। इस पहल का उद्देश्य उन लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करना था जो सामान्यतः महंगे इलाज और टीकाकरण से वंचित रह जाती हैं।
इस अवसर पर टच क्लिनिक की निदेशक और जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति जिंदल ने जानकारी दी कि भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है और यह समय रहते पहचान और रोकथाम से पूरी तरह से टाला जा सकता है।
डॉ. जिंदल ने बताया कि एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है, लेकिन इसकी कीमत अधिक होने के कारण यह बहुत सी जरूरतमंद लड़कियों की पहुंच से बाहर है। इस अभियान के जरिए उन लड़कियों को यह टीका उपलब्ध करवाया गया जो आर्थिक रूप से इसका खर्च वहन नहीं कर सकतीं।
कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा विशेषज्ञों और स्वयंसेवकों ने टीकाकरण के महत्व के बारे में उपस्थित लोगों को जागरूक किया। अभिभावकों और बालिकाओं को यह भी बताया गया कि यह टीका सुरक्षित है और भविष्य में गंभीर बीमारियों से बचाता है।
रोटरी क्लब चंडीगढ़ और AOGIN जैसे प्रतिष्ठित संगठनों की भागीदारी से इस अभियान को व्यापक समर्थन मिला। उन्होंने न सिर्फ संसाधन मुहैया करवाए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि हर प्रक्रिया सुरक्षित और कुशलतापूर्वक पूरी हो।
कार्यक्रम में भाग लेने वाली किशोरियों और उनके परिवारों ने इस प्रयास की सराहना की और कहा कि यह उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। कुछ परिवारों ने बताया कि उन्हें पहले वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब वे जागरूक हुए हैं।
इस अभियान से न केवल लड़कियों को स्वास्थ्य सुरक्षा मिली, बल्कि समुदाय के भीतर महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक सकारात्मक जागरूकता की लहर भी देखने को मिली। यह प्रयास महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक सार्थक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
डॉ. प्रीति जिंदल ने कहा कि भविष्य में भी ऐसे और अभियान चलाए जाएंगे ताकि समाज के हर वर्ग की महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा मिल सके। उन्होंने सरकार और अन्य संगठनों से इस दिशा में सहयोग की अपील भी की।
यह अभियान न केवल एक टीकाकरण कार्यक्रम था, बल्कि एक समाजिक बदलाव की शुरुआत भी था, जहां एकजुट होकर समाज के सबसे कमजोर वर्गों की लड़कियों को वह हक दिया गया जो उनका बनता है – सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने का।
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