आज दोपहर 1 बजे चंडीगढ़ प्रेस क्लब में लिवासा हॉस्पिटल की ओर से आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था, जिसमें कई विशेषज्ञ डॉक्टरों और चिकित्सा क्षेत्र के दिग्गजों ने भाग लिया।
लिवासा हॉस्पिटल ने इस अवसर पर फेफड़ों के कैंसर को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और यह बताया कि भारत में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया कि स्मोकिंग, वायु प्रदूषण और समय पर निदान न हो पाने की वजह से यह कैंसर बेहद जानलेवा साबित हो रहा है।
सम्मेलन में मौजूद वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. राजीव मेहरा ने बताया कि लंग कैंसर से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है, लेकिन जागरूकता की कमी के चलते लोग इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने इस बीमारी को ‘साइलेंट किलर’ करार दिया।
लिवासा हॉस्पिटल की प्रमुख डॉ. निधि मल्होत्रा ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर के इलाज में शुरुआती पहचान और उन्नत तकनीकें ही जीवन बचा सकती हैं। उन्होंने आधुनिक इमेजिंग और बायोप्सी तकनीकों की अहमियत पर भी जोर दिया।
सम्मेलन में एक जागरूकता वीडियो भी दिखाया गया जिसमें लिवासा हॉस्पिटल के मरीजों की कहानियां और उनके इलाज के सफर को दर्शाया गया। यह वीडियो न सिर्फ भावनात्मक था, बल्कि लोगों को समय रहते जांच कराने की प्रेरणा भी देता है।
डॉक्टरों ने बताया कि पुरुषों में यह कैंसर आमतौर पर धूम्रपान से जुड़ा होता है, लेकिन अब महिलाओं और युवा वर्ग में भी इसके मामले सामने आने लगे हैं। इसका एक बड़ा कारण बढ़ता वायु प्रदूषण और इंडोर स्मोकिंग भी है।
लिवासा हॉस्पिटल ने इस मौके पर मुफ्त जांच शिविरों की भी घोषणा की जो आने वाले सप्ताहों में विभिन्न स्थानों पर लगाए जाएंगे। इसका उद्देश्य है अधिक से अधिक लोगों की समय पर जांच कर उन्हें इलाज की ओर ले जाना।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में हुए इस आयोजन में विभिन्न मीडिया संस्थानों, सामाजिक संगठनों और चिकित्सा छात्रों ने भाग लिया। सभी ने फेफड़ों के कैंसर पर इस महत्वपूर्ण विमर्श की सराहना की और इसे समय की ज़रूरत बताया।
लिवासा हॉस्पिटल ने सरकार से भी आग्रह किया कि फेफड़ों के कैंसर को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त स्क्रीनिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
फेफड़ों के कैंसर जैसे गंभीर मुद्दे पर लिवासा हॉस्पिटल की यह पहल न केवल मेडिकल फ्रंट पर एक बड़ा कदम है, बल्कि यह सामाजिक ज़िम्मेदारी का भी प्रतीक है। इस तरह के प्रयास यदि लगातार होते रहें, तो हम निश्चित रूप से इस संकट से लड़ सकते हैं।
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