विमान सुरक्षा और व्यापार पारदर्शिता पर चिंता

Concerns on Air Safety & Trade Transparency

विमान सुरक्षा और व्यापार पारदर्शिता पर राज्यसभा में डॉ. मित्तल की गंभीर चिंता

राज्यसभा के मानसून सत्र के पहले दिन आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के संस्थापक एवं चांसलर डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने विमान सुरक्षा से जुड़ा एक बेहद अहम मुद्दा उठाया। उन्होंने भारत में मौजूदा विमान सुरक्षा नियमों की स्थिति पर चिंता जताते हुए इसे और बेहतर बनाने की मांग की। यह मांग उन्होंने 12 जून को हुई एआई-171 विमान दुर्घटना की पृष्ठभूमि में रखी, जिसमें 260 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। यह मुद्दा देश में हवाई सुरक्षा मानकों की गंभीरता को रेखांकित करता है।

डॉ. मित्तल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के ज़रिए इंडिगो की फ्लाइट 6ई-2482 से जुड़ी एक ताज़ा घटना का उल्लेख किया। यह फ्लाइट एयरबस ए320-271 विमान थी, जो दिल्ली से पटना की ओर उड़ान भर रही थी। उन्होंने बताया कि जब यह फ्लाइट पटना एयरपोर्ट पर रात के समय लैंड करने वाली थी, तो विमान ने रनवे से पहले ही ज़मीन छू ली और रनवे के निर्धारित क्षेत्र से आगे निकलने की स्थिति में लैंडिंग बीच में ही रोकनी पड़ी। यह स्थिति बेहद गंभीर थी और बड़ी दुर्घटना में बदल सकती थी।

इस घटना के ज़रिए डॉ. मित्तल ने पटना एयरपोर्ट की अधूरी और असुरक्षित बुनियादी ढांचे की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि पटना एयरपोर्ट का रनवे सिर्फ 1,617 मीटर लंबा है, जो विमानन मानकों के अनुसार काफी छोटा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बोइंग 777, 787 जैसे बड़े विमानों को छोड़िए, यहां तक कि छोटे विमान जैसे एयरबस A320 और बी737 के लिए भी यह रनवे असुरक्षित है। इन विमानों को आमतौर पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए 2,500 से 3,500 मीटर लंबे रनवे की आवश्यकता होती है।

डॉ. मित्तल ने यह भी रेखांकित किया कि पटना एयरपोर्ट के आसपास के भौगोलिक और संरचनात्मक हालात इस समस्या को और जटिल बनाते हैं। उन्होंने बताया कि रनवे के एक ओर रेलवे स्टेशन और दूसरी ओर घड़ी टावर जैसे निर्माण मौजूद हैं, जो हवाईअड्डे के विस्तार में बाधा उत्पन्न करते हैं। इन परिस्थितियों में मौजूदा एयरपोर्ट को सुरक्षित बनाना कठिन है और इसीलिए उन्होंने सुझाव दिया कि एक नए एयरपोर्ट के निर्माण पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

इस गंभीर सवाल पर जवाब देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री ने माना कि यह वाकई एक चिंताजनक स्थिति है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पटना जैसे शहर में एयरपोर्ट का विस्तार आसान नहीं है, लेकिन इस दिशा में एक वैकल्पिक हवाईअड्डे की योजना पर विचार चल रहा है। मंत्री के इस उत्तर से यह साफ हुआ कि सरकार को भी इस खामी का अंदाजा है और वह संभावित समाधान की दिशा में आगे बढ़ रही है।

विमान सुरक्षा के मुद्दे के साथ ही डॉ. मित्तल ने राज्यसभा में व्यापारिक पारदर्शिता से जुड़े एक और महत्वपूर्ण विषय को उठाया। उन्होंने ‘बिल्स ऑफ लेडिंग’ बिल पर चर्चा के दौरान छोटे व्यापारियों को होने वाली धोखाधड़ी के मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने विशेष रूप से सेक्शन 4 का उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रावधान का दुरुपयोग कर कुछ तत्व बिना माल भेजे ही भेजे जाने की स्थिति दर्शा सकते हैं, जो सीधे तौर पर व्यापार में विश्वास और पारदर्शिता को चोट पहुंचाता है।

डॉ. मित्तल ने सरकार से अपील की कि वह इस बिल को पास करने से पहले इसमें उचित संशोधन करे और ऐसे प्रावधानों को हटाए या सुधार करे जो व्यापारियों के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर यूनाइटेड किंगडम के “इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड डॉक्युमेंट्स एक्ट 2023” का हवाला देते हुए कहा कि भारत को भी डिजिटल व्यापार दस्तावेज़ीकरण की ओर कदम बढ़ाने चाहिए। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि छोटे निर्यातकों और आयातकों को भी व्यापार में आसानी होगी।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज के डिजिटल युग में व्यापार को आसान, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना बेहद जरूरी है। छोटे व्यापारियों को विशेष सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए क्योंकि वे अक्सर बड़े खिलाड़ियों की तुलना में धोखाधड़ी के जोखिम में ज्यादा रहते हैं। डिजिटल दस्तावेज़ प्रणाली अपनाने से व्यापारिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार या कागज़ी हेराफेरी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

डॉ. मित्तल की ये दोनों बातें – विमान सुरक्षा और व्यापारिक सुधार – सिर्फ तात्कालिक घटनाओं की प्रतिक्रिया नहीं हैं, बल्कि एक दीर्घकालिक सोच और जिम्मेदार सांसद की दूरदर्शिता को दर्शाती हैं। उन्होंने न सिर्फ समस्याएं गिनाईं, बल्कि समाधान भी सुझाए और तकनीकी उदाहरणों से अपनी बात को मजबूती दी। यह संसद में एक गंभीर और सकारात्मक हस्तक्षेप का उदाहरण कहा जा सकता है, जो जनता की सुरक्षा और आर्थिक मजबूती दोनों को प्राथमिकता देता है।