फोर्टिस अस्पताल मोहाली ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक बड़ी पहल करते हुए डीप ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (डीटीएमएस) थेरेपी की शुरुआत की है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए नई उम्मीद बनकर आई है, जो डिप्रेशन, ओसीडी, पीटीएसडी जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं और पारंपरिक दवाओं या थेरेपी से उन्हें राहत नहीं मिल रही थी। यह एक नॉन-इनवेसिव, एफडीए-स्वीकृत ब्रेन स्टिमुलेशन थेरेपी है, जो पूरी तरह से सुरक्षित और बिना किसी सर्जिकल हस्तक्षेप के की जाती है।
डीटीएमएस थेरेपी को चार महीने पहले फोर्टिस मोहाली में शुरू किया गया था, और अब तक इसके माध्यम से 15 ओसीडी मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है। यह थेरेपी विशेष रूप से मस्तिष्क के गहरे हिस्सों को लक्षित करती है, जहाँ पारंपरिक रेपेटिटिव ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (rTMS) की पहुंच नहीं हो पाती। इस कारण यह कुछ जटिल मानसिक विकारों में अधिक कारगर साबित हो रही है।
फोर्टिस मोहाली के एडिशनल डायरेक्टर – साइकेट्री, डॉ. हरदीप सिंह ने इस थेरेपी के सफल परिणामों को मीडिया के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि एक 40 वर्षीय महिला जो करीब 16 वर्षों से गंभीर ओसीडी से पीड़ित थी, उसके जीवन में इस थेरेपी ने क्रांतिकारी बदलाव लाया। वह संक्रमण के अत्यधिक भय में जी रही थी और दिन के कई घंटे थकाने वाले सफाई के अनुष्ठानों में बिताती थी।
डॉ. सिंह ने बताया कि पारंपरिक इलाज और काउंसलिंग से उसे कोई विशेष राहत नहीं मिली थी, लेकिन डीटीएमएस थेरेपी के केवल छह सप्ताह के इलाज के बाद उसका येल-ब्राउन ऑब्सेसिव-कंपल्सिव स्केल (Y-BOCS) स्कोर 32 से घटकर 13 हो गया। यह स्कोर अत्यधिक गंभीर ओसीडी से हल्की ओसीडी की ओर संकेत करता है। महिला अब अपने दैनिक जीवन में सामान्य रूप से कार्य कर पा रही है और उसकी जीवनशैली में बड़ा सुधार देखा गया है।
डीटीएमएस थेरेपी मानसिक बीमारियों के इलाज में एक सटीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह तकनीक मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों में नियंत्रित मैग्नेटिक पल्स भेजती है, जिससे न्यूरोनल एक्टिविटी प्रभावित होती है और रोगी की मानसिक स्थिति में सुधार आता है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज पूरी तरह से जागरूक रहते हैं और उन्हें किसी एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती।
इस तकनीक का उपयोग न केवल ओसीडी बल्कि डिप्रेशन, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), एंग्जायटी, क्रॉनिक पेन, माइग्रेन और निकोटिन की लत जैसी समस्याओं के इलाज में भी किया जा रहा है। यह थेरेपी आमतौर पर 20 से 30 सत्रों में पूरी की जाती है और एक मरीज को 4 से 6 सप्ताह तक इसका कोर्स दिया जाता है। हर सत्र लगभग 20-30 मिनट का होता है।
डॉ. निशित सावल, सीनियर कंसल्टेंट – न्यूरोलॉजी, ने बताया कि डीटीएमएस पोस्ट-स्ट्रोक पुनर्वास में भी एक उपयोगी भूमिका निभा सकती है, विशेषकर एफेज़िया जैसे मामलों में, जो मस्तिष्क में भाषा से जुड़े हिस्सों को नुकसान पहुंचने से होता है। एफेज़िया के मरीजों में बोलने, समझने और लिखने-पढ़ने की क्षमता प्रभावित होती है, और डीटीएमएस इस दिशा में नई उम्मीद बनकर उभरी है।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत और आधुनिक बनाने के अपने मिशन पर लगातार कार्यरत है। डीटीएमएस तकनीक को पेश कर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अब ट्राइसिटी क्षेत्र के मरीजों को देश के बड़े शहरों या विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है। इस तकनीक की उपलब्धता ने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल को और अधिक सुलभ व प्रभावी बना दिया है।
इस उपचार पद्धति के सबसे बड़े लाभों में से एक यह है कि इसके साइड इफेक्ट्स पारंपरिक दवाओं की तुलना में बहुत ही कम हैं। यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिन्हें दवाइयों से एलर्जी है या जो लंबे समय तक दवाइयों पर निर्भर नहीं रहना चाहते। साथ ही, थेरेपी पूरी तरह से पेनलेस और सुरक्षित है।
फोर्टिस मोहाली की यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टि से एक उपलब्धि है, बल्कि यह उन हजारों मरीजों और उनके परिवारों के लिए आशा की किरण भी है, जो वर्षों से मानसिक बीमारियों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। डीटीएमएस थेरेपी एक ऐसा समाधान बनकर उभरी है, जो आधुनिक विज्ञान, अनुभवी विशेषज्ञों और संवेदनशील देखभाल के समन्वय से रोगियों को एक नई जिंदगी की ओर ले जा रही है।
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