पंजाब के लोकप्रिय गायक गुरु रंधावा न केवल अपनी आवाज़ और गानों से लोगों के दिल जीतते हैं, बल्कि मुश्किल समय में समाज के लिए किए जाने वाले उनके कदम भी उन्हें एक सच्चा हीरो बनाते हैं। हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ ने पंजाब के कई जिलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। घर टूट गए, खेत बह गए और किसानों का जीवन संकट में आ गया। ऐसे कठिन दौर में गुरु रंधावा ने फिर से यह साबित कर दिया कि वे केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि अपने लोगों के सच्चे साथी भी हैं।
गुरु रंधावा ने बाढ़ के दौरान सबसे पहले प्रभावित परिवारों तक मदद पहुंचाई। वे उन चंद हस्तियों में से रहे जिन्होंने तुरंत राहत कार्यों में योगदान दिया। उन्होंने न केवल आर्थिक सहायता दी, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी परिवारों से जुड़े और उनका दुख बाँटा। उनके इस कदम ने प्रभावित परिवारों को मानसिक संबल भी दिया कि वे इस कठिनाई को पार कर सकेंगे।

इससे पहले भी गुरु रंधावा ने एक बाढ़ पीड़ित मां से किया अपना वादा निभाया था, जिसका घर पानी में बह गया था। उन्होंने घोषणा की थी कि वे उस मां का टूटा हुआ घर फिर से बनवाएंगे। इस वादे ने यह दर्शाया कि उनके लिए समाज सेवा केवल दिखावा नहीं, बल्कि दिल से उठाया गया कदम है। यह संवेदनशीलता उन्हें बाकी कलाकारों से अलग पहचान दिलाती है।
अब जब पंजाब का किसान बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है और खेती पूरी तरह से ठप हो चुकी है, गुरु रंधावा ने किसानों के लिए भी एक बड़ी पहल की है। उन्होंने घोषणा की है कि जैसे ही पानी उतर जाएगा और हालात सामान्य होंगे, वे सभी प्रभावित किसानों को गेहूं के बीज उपलब्ध करवाएंगे। यह मदद केवल बीज देने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों को नए सिरे से जीने का हौसला देने का प्रतीक भी है।
खेती पंजाब की आत्मा है और किसान यहां के असली नायक। बाढ़ ने खेतों को तबाह कर दिया है और बीज बोने का सामर्थ्य भी कई किसानों के पास नहीं बचा। ऐसे में गुरु रंधावा की पहल किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई है। उनकी यह सोच किसानों को एक बार फिर अपनी मिट्टी से जुड़ने और अपनी मेहनत से भविष्य संवारने की ताकत देगी।
गुरु रंधावा का यह कदम केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि पंजाब की संस्कृति और परंपरा से उनके गहरे जुड़ाव को भी दर्शाता है। वे भली-भांति समझते हैं कि किसान ही पंजाब की रीढ़ हैं और जब वे खड़े रहेंगे तो पंजाब भी मजबूती से खड़ा रहेगा। यही वजह है कि उन्होंने किसानों की मदद के लिए बीज बांटने जैसा ठोस निर्णय लिया।
यह पहल समाज के बाकी हिस्सों के लिए भी एक प्रेरणा है। अक्सर लोग सोचते हैं कि कलाकार और सितारे केवल मंच और कैमरे तक सीमित होते हैं। लेकिन गुरु रंधावा ने दिखाया है कि असली कलाकार वही है जो अपनी लोकप्रियता और साधनों का इस्तेमाल समाज की बेहतरी में करे। उनकी यह सोच युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है कि वे अपने-अपने स्तर पर समाज के लिए योगदान दे सकते हैं।

गुरु रंधावा का यह बयान, “जब यह बाढ़ खत्म होगी और पानी का स्तर नीचे जाएगा, मैं गेहूं के बीज बांटूंगा ताकि लोग फिर से नई शुरुआत कर सकें,” केवल शब्द नहीं बल्कि एक गहरा वादा है। यह वादा किसानों के लिए नई जिंदगी का संदेश लेकर आया है। यह किसानों को बताता है कि वे अकेले नहीं हैं, पंजाब का हर दिल उनके साथ है।
इस तरह की पहल न केवल किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाएगी बल्कि समाज में आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना को भी मजबूत करेगी। पंजाब की यह विशेषता हमेशा रही है कि यहां लोग दुख-सुख में साथ खड़े होते हैं। गुरु रंधावा ने इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने कंधे से कंधा मिलाने का संदेश दिया है।
आज जब पंजाब बाढ़ जैसी त्रासदी से गुजर रहा है, तब गुरु रंधावा जैसे कलाकारों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उनकी यह प्रतिबद्धता समाज को यह भरोसा देती है कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर हम सब मिलकर एक-दूसरे का सहारा बनें तो हर संकट को पार किया जा सकता है। यही वह संदेश है जिसे गुरु रंधावा ने अपने इस मानवीय संकल्प के माध्यम से पूरे पंजाब और देश को दिया है।
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