Haryana Fights Back: Capital and Court Our Right!

Haryana Fights Back: Capital and Court Our Right!

हरियाणा गरजा: दो राजधानी और हाईकोर्ट अब!

हरियाणा की जनता अब पूरी ताक़त से अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है। प्रदेश के लिए अलग राजधानी और उच्च न्यायालय की मांग तेज़ हो चुकी है। यह सिर्फ़ प्रशासनिक ढांचा नहीं बल्कि अस्मिता और पहचान का सवाल है।

58 साल पहले हरियाणा अस्तित्व में तो आ गया लेकिन उसकी समृद्ध पहचान आज तक विकसित नहीं हो सकी। राजधानी और हाईकोर्ट के बिना राज्य अधूरा है। जनता का आक्रोश इस अधूरेपन से झलक रहा है।

पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों, समाजसेवियों और अधिवक्ताओं ने भी माना कि हरियाणा के गौरव और विकास के लिए अलग राजधानी नितांत आवश्यक है। यह केवल राजनीतिक मांग नहीं बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक ज़रूरत है।

लोगों का कहना है कि दूर-दराज़ जिलों से चंडीगढ़ तक पहुंचना कठिन है। कोर्ट-कचहरी और प्रशासनिक दफ्तरों तक पहुंचने में आम जनता का समय, धन और ऊर्जा बर्बाद होती है। एक नई राजधानी इस बोझ को हल्का कर सकती है।

न्याय की देरी हरियाणा के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। लाखों केस वर्षों से लंबित पड़े हैं और लोग न्याय की आस में भटक रहे हैं। अलग हाईकोर्ट बनने से त्वरित न्याय संभव होगा और जनता का विश्वास मजबूत होगा।

युवाओं के लिए यह मुद्दा और भी अहम है। नई राजधानी के निर्माण से रोजगार के अनगिनत अवसर पैदा होंगे। विदेशी और निजी निवेश आएगा और प्रदेश की बेरोजगारी दर में बड़ी कमी आएगी।

हरियाणा की समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को सम्मान देने के लिए एक अलग पहचान ज़रूरी है। जब तक राज्य की अपनी राजधानी और कोर्ट नहीं होंगे, तब तक यह पहचान अधूरी ही रहेगी।

लोकगायक, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील एकजुट होकर इस आंदोलन को नया रूप दे रहे हैं। हरियाणा बनाओ अभियान अब पूरे प्रदेश की जनभावना बन चुका है।

नार्थ ज़ोन कल्चरल सेंटर में हरियाणा का प्रतिनिधित्व न होना इस अन्याय का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह दिखाता है कि बिना मजबूत पहचान के प्रदेश को हाशिए पर धकेला जाता रहेगा।

अब समय आ गया है कि हरियाणा को उसकी असली पहचान मिले। राजधानी और हाईकोर्ट के बिना राज्य अधूरा है। जनता का संदेश साफ है – अब और इंतज़ार नहीं, हरियाणा को उसका हक तुरंत चाहिए।