खरड़–मोहाली हाईवे आज लोगों के लिए एक डरावना सफर बन गया है। जहां कभी तेज़ और आसान यात्रा हुआ करती थी, अब वहां टूटी सड़कों, गहरे गड्ढों और धूल के बादल ने कब्ज़ा कर लिया है। इस रास्ते से गुजरना जैसे हर दिन मौत को मात देने जैसा हो गया है।
सड़क की हालत इतनी बदतर है कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। जगह-जगह गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे दोपहिया और चारपहिया वाहन फिसलकर हादसों का शिकार हो जाते हैं। हर गड्ढा एक नए खतरे की तरह इंतज़ार करता है।
स्थानीय लोगों की ज़िंदगी इन हालात में जीना मुश्किल हो गई है। रोज़ सुबह काम पर निकलने से पहले उन्हें घंटों के जाम और खतरनाक सफर का सामना करना पड़ता है। स्कूल जाने वाले बच्चों के अभिभावक हर पल हादसों के डर में जीते हैं।
रूपनगर, मनाली और जालंधर जाने वाले यात्रियों के लिए यह रास्ता अब दुश्वार हो चुका है। जहां कभी हरी-भरी सड़क किनारे का नज़ारा होता था, वहां अब केवल धूल, शोर और ट्रैफिक का तांडव दिखाई देता है। सफर के दौरान यात्री थकान और चिड़चिड़ाहट से भर जाते हैं।
लांड्रां से खरड़ बस स्टैंड तक का रास्ता अब लोगों के धैर्य की सबसे बड़ी परीक्षा बन गया है। कई बार तो लोग एक जगह पर आधे घंटे से भी ज़्यादा खड़े रह जाते हैं, जिससे कामकाज, पढ़ाई और निजी ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है।
वाहनों की रफ्तार थम जाने से यात्रियों का कीमती समय बर्बाद हो रहा है। कई लोग बताते हैं कि उन्हें रोज़ाना एक से दो घंटे अतिरिक्त सड़क पर बिताने पड़ते हैं, जिससे उनका मानसिक तनाव और बढ़ जाता है।
दुर्घटनाओं का खतरा हर मोड़ और हर गड्ढे पर मौजूद है। कई बार तो तेज़ रफ्तार में आ रहे वाहन अचानक गड्ढे में फंसकर पलट जाते हैं। आसपास के दुकानदार और राहगीर इन घटनाओं के गवाह बनते रहते हैं।
गर्मी और प्रदूषण ने हालात और भी बदतर कर दिए हैं। धूल से सांस लेना मुश्किल हो जाता है और गर्मी में इंजन के ओवरहीट होने की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। यह सड़क अब न केवल समय बल्कि सेहत भी छीन रही है।
स्थानीय लोग लंबे समय से प्रशासन से इस समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं। धरना, विरोध और शिकायतें भी हुईं, लेकिन सड़क का हाल जस का तस बना हुआ है। लोगों का धैर्य अब टूटने की कगार पर है।
प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही ने जनता की पीड़ा को और गहरा कर दिया है। लोग उम्मीद करते हैं कि जल्द ही कोई ठोस कदम उठाया जाएगा, वरना यह हाईवे विकास नहीं, विनाश की पहचान बन जाएगा।
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