चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और 31 वर्षीय आईटी इंटरप्रेन्योर सिद्धांत बंसल ने सोमवार को ‘नेचुरल इंटेलिजेंस’ (NI) की घोषणा की। उनका दावा है कि यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से कहीं ज्यादा मानवीय और समझदार है।
मीडिया से बातचीत में सिद्धांत ने साफ किया कि यह कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं, बल्कि एक “टेक्नोलॉजिकल रीसेट” है। उन्होंने कहा, “यह AI का अंत है और नेचुरल इंटेलिजेंस की शुरुआत। अब तकनीक केवल तेज़ नहीं, समझदार भी होगी।”
सिद्धांत ने बताया कि उन्होंने वर्षों तक एडवांस्ड AI सिस्टम्स पर काम किया, उन्हें इस्तेमाल किया और उनकी सीमाएं जानीं। उन्होंने महसूस किया कि ये सिस्टम तेज़ तो हैं, लेकिन उनमें मानवीय समझ और भावना की कमी है।
इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होंने नेचुरल इंटेलिजेंस विकसित किया। यह एक ऐसा सिस्टम है जो इंसान की तरह सुनता है, सोचता है और जवाब देता है। इसमें यूज़र को कमांड देने की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि बातचीत की जाती है।
NI आधारित सिस्टम में ऑटोमेशन की जगह कनेक्शन है। यह तकनीक इंसान और मशीन दोनों के लिए है, जो एक रियल टाइम सोचने वाले ब्रेन की तरह काम करती है। इससे ऐप्स, सॉफ्टवेयर और ह्यूमन-लाइक डिवाइसेज़ कहीं ज्यादा इंटरैक्टिव बन जाते हैं।
अलोहा इंटेलिजेंस, सिद्धांत की कंपनी, दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जो पूरी तरह नेचुरल इंटेलिजेंस पर आधारित है। इसका मकसद तकनीक को लोगों के हाथ में वापस देना है — बिना विज्ञापन, बिना निगरानी और बिना भटकाव के।
NI सिस्टम का इस्तेमाल आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं। चाहे छात्र RTI भरना चाहता हो या कोई माता-पिता FIR लिखवाना चाहें — अलोहा उनके साथ एक मददगार साथी की तरह खड़ा रहता है।
सिद्धांत ने जोर देकर कहा, “इंटेलिजेंस का मतलब केवल तेज़ प्रोसेसिंग नहीं है, बल्कि सही और समझदारी भरा निर्णय लेना है। नेचुरल इंटेलिजेंस का फोकस ऑटोमेशन से हटकर अब इंसानियत और समझदारी पर है।”
उन्होंने यह भी बताया कि अलोहा इंटेलिजेंस पूरी तरह भारत में विकसित हुई तकनीक है। यह किसी विदेशी मॉडल की नकल नहीं, बल्कि भारत की ज़रूरतों और सोच से निकली तकनीक है। “यह भारत की आवाज़ है, जो अब दुनिया तक पहुंच रही है,” उन्होंने कहा।
नेचुरल इंटेलिजेंस के साथ सिद्धांत बंसल ने न सिर्फ एक नई टेक्नोलॉजी पेश की है, बल्कि सोचने का एक नया तरीका भी दिया है — जहां इंसान और मशीन के बीच का फासला कम हो रहा है, और तकनीक फिर से मानवीय हो रही है।

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