भारत में लाखों लोग हर साल किडनी फेल्योर का शिकार होते हैं, लेकिन ट्रांसप्लांट मिल पाना अब भी बड़ी चुनौती है। पार्क हॉस्पिटल मोहाली ने अब रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू कर एक नई उम्मीद दी है। यह तकनीक कम चीरा, कम दर्द और तेज़ रिकवरी के साथ मरीजों को बेहतर जीवन देती है।

Park Hospital मोहाली में शुरू हुई एडवांस रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा।

चंडीगढ़, 27 जून: पार्क हॉस्पिटल मोहाली ने क्षेत्र की पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सुविधा शुरू करके किडनी रोगियों के इलाज में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। इस अवसर पर अस्पताल की विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मीडिया को संबोधित करते हुए क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) और इसके आधुनिक इलाज के बारे में जानकारी दी।

डॉ. प्रियदर्शी रंजन, डायरेक्टर रोबोटिक यूरोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांट ने बताया कि भारत में हर साल लाखों लोग किडनी फेल्योर का शिकार होते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम मरीजों को समय पर किडनी ट्रांसप्लांट मिल पाता है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए रोबोटिक ट्रांसप्लांट की जरूरत और महत्व बढ़ गया है।

पार्क हॉस्पिटल मोहाली अब रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट की सेवा उपलब्ध कराकर उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि देश और विदेश के मरीजों के लिए भी एक उम्मीद का केंद्र बन गया है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी में बहुत कम चीरा लगता है, दर्द कम होता है और मरीज जल्दी स्वस्थ होकर सामान्य जीवन में लौटता है।

डॉ. रंजन ने आगे बताया कि अस्पताल में हाई रिस्क ट्रांसप्लांट, बच्चों के ट्रांसप्लांट, ब्लड ग्रुप मेल न करने वाले (ABO incompatible) ट्रांसप्लांट और री-डू ट्रांसप्लांट भी सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अभी भी प्रशिक्षित रोबोटिक सर्जनों की भारी कमी है, लेकिन यह तकनीक भविष्य का इलाज है।

डॉ. मुकेश गोयल, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मूत्र मार्ग में रुकावट, स्टोन और इन्फेक्शन जैसी समस्याएं किडनी फेल्योर की प्रमुख वजहें हैं। उन्होंने बताया कि किडनी की यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और एक समय पर जाकर यह पूरी तरह अस्थिर हो जाती है, जिसके बाद डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।

डॉ. मनव गोयल, यूरोलॉजिस्ट ने कहा कि भारत में 3 लाख से अधिक मरीज ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा सूची में हैं, लेकिन 10% से भी कम को समय पर अंग मिल पाते हैं। हर 10 मिनट में एक नया मरीज लिस्ट में जुड़ता है और हर दिन 20 लोग अंगों के अभाव में दम तोड़ देते हैं।

डॉ. कल्पेश सतापारा ने बताया कि भारत में अंगदान करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। दुनिया में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद प्रति मिलियन जनसंख्या पर सिर्फ 0.08 लोग अंगदान करते हैं। एक व्यक्ति अंगदान करके 8 लोगों की जान बचा सकता है और 50 से अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।

पार्क हॉस्पिटल मोहाली के ग्रुप सीईओ (नॉर्थ), श्री आशीष चड्ढा ने कहा कि अस्पताल में 14 बेड वाला अत्याधुनिक डायलिसिस यूनिट है जो 24×7 काम करता है। यहां पर्माकैथ, एवी फिस्टुला, रीनल बायोप्सी जैसी इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी सेवाएं भी उपलब्ध हैं। यह अस्पताल ECHS, CGHS, CAPF, ESI और कई राज्य सरकारों के पैनल में शामिल है।

अस्पताल की यह नई तकनीक विशेष रूप से उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है जो जटिल परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। छोटे चीरे, कम खून बहाव, कम संक्रमण और तेज़ रिकवरी जैसे लाभों ने रोबोटिक ट्रांसप्लांट को आधुनिक चिकित्सा का भविष्य बना दिया है।

कार्यक्रम के अंत में डॉक्टरों ने किडनी रोग से बचाव के 10 जरूरी सुझाव भी दिए — जैसे डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना, पर्याप्त पानी पीना, संतुलित आहार लेना, दवाओं का दुरुपयोग न करना, धूम्रपान और शराब से दूर रहना और नियमित व्यायाम करना। जागरूकता और आधुनिक तकनीक के ज़रिए किडनी रोग को रोका और हराया जा सकता है।