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सड़क हादसों में अंग बचाना मुमकिन: पार्क हॉस्पिटल ने पेश की जीवनदायिनी सर्जरी की मिसालें

सड़क दुर्घटनाओं से अंग बचाना संभव: पार्क हॉस्पिटल ने साझा किए सफल केस!

चंडीगढ़, पार्क हॉस्पिटल द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही तेजी से वृद्धि और उसके कारण उत्पन्न हो रही वेस्कुलर ट्रॉमा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई।

पार्क हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम ने बताया कि उत्तर भारत में सड़क हादसों की संख्या में हाल के वर्षों में चिंताजनक रूप से बढ़ोत्तरी हुई है। इन हादसों में घायलों को समय पर और सटीक इलाज नहीं मिलने पर उनके अंगों को खोने का खतरा रहता है।

डॉक्टरों ने बताया कि वेस्कुलर ट्रॉमा यानी नसों और धमनियों की चोटों की स्थिति में इलाज के लिए अत्याधुनिक तकनीक की जरूरत होती है। इस प्रकार की चोटें अक्सर दुर्घटना में या औद्योगिक हादसों में होती हैं और समय पर सर्जरी ही मरीज के अंग को बचा सकती है।

पार्क हॉस्पिटल की टीम ने कई जटिल मामलों का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार उनकी विशेषज्ञ टीम ने गंभीर रूप से घायल मरीजों की सर्जरी कर उनके अंग बचाए हैं। इनमें से कई केस ऐसे थे जिनमें मरीजों को अन्य अस्पतालों से रेफर किया गया था।

डॉ. मनोज कुमार, वेस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रमुख, ने बताया कि उनके पास रोजाना ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें नस या धमनी में चोट लगी होती है। “यदि ऐसे मामलों में 6 से 8 घंटे के भीतर इलाज नहीं किया गया, तो अंग को खोने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी कहा कि पार्क हॉस्पिटल में 24×7 वेस्कुलर सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है, जिससे गंभीर मामलों में भी त्वरित सर्जिकल हस्तक्षेप किया जा सकता है।

डॉ. पूजा अग्रवाल, ट्रॉमा केयर विशेषज्ञ, ने कहा कि ट्रॉमा के केस में समय ही सबसे बड़ा फैक्टर होता है। “हमारे अस्पताल ने एक समर्पित ट्रॉमा रेस्पॉन्स टीम बनाई है, जो एम्बुलेंस से लेकर ऑपरेशन थियेटर तक हर स्तर पर तुरंत कार्रवाई करती है।”

इस अवसर पर प्रेस को उन मरीजों की कहानियाँ भी दिखाई गईं जिनके अंग दुर्घटना के बाद लगभग खो चुके थे, लेकिन सर्जरी और तत्पर देखभाल से उन्हें फिर से सामान्य जीवन मिल सका।

पार्क हॉस्पिटल की टीम ने यह भी अपील की कि सड़क दुर्घटना के किसी भी मामले में घायल को तुरंत किसी ऐसे सेंटर में ले जाएं जहाँ वेस्कुलर सर्जरी की सुविधा हो, ताकि अंगों को खोने से बचाया जा सके।

कार्यक्रम के अंत में प्रेस क्लब में उपस्थित पत्रकारों ने चिकित्सकों से प्रश्न पूछे और इस विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए अस्पताल के प्रयासों की सराहना की।