चंडीगढ़: वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, जिसे वक्फ अधिनियम, 1995 में बदलाव के लिए प्रस्तावित किया गया है, का मुस्लिम समुदाय द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना बताया जा रहा है, लेकिन मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं का मानना है कि यह उनके धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करने की कोशिश है।
जुमातुल विदा (अलविदा जुमा, 28 मार्च 2025) के अवसर पर चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित नूरानी मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने काली पट्टी बांधकर इस विधेयक के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के निर्देशानुसार, देशभर में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए गए।
नूरानी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद अनस क़ासमी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह विधेयक एक गहरी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मुस्लिमों को उनकी धार्मिक संपत्तियों से बेदखल करना है। उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक पारित हो गया तो मस्जिदें, मदरसे, दरगाहें, ईदगाहें और कब्रिस्तानों जैसी संपत्तियां मुस्लिम समुदाय के हाथ से निकल सकती हैं।
विधेयक के विवादित प्रावधानों में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, वक्फ संपत्तियों की घोषणा में बदलाव, ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाना और प्रशासनिक नियंत्रण को राज्य सरकार के अधीन करना शामिल है। इन बदलावों को मुस्लिम समुदाय उनकी धार्मिक स्वायत्तता पर खतरा मान रहा है।
विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है, जिससे धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। इसके अलावा, इस विधेयक के कारण कई मौजूदा वक्फ संपत्तियों की वैधता पर भी प्रश्नचिह्न लग सकता है।
वक्फ बोर्डों के पास लाखों एकड़ जमीन और संपत्तियां हैं, जो ऐतिहासिक रूप से विभिन्न मुस्लिम शासकों, नवाबों और दानदाताओं द्वारा धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए दी गई थीं। सरकार द्वारा इस पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश को मुस्लिम समुदाय अपने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मान रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की स्वायत्तता समाप्त करने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने मांग की कि सरकार इस विधेयक को वापस ले और समुदाय की चिंताओं पर विचार करे।
देशभर में मुस्लिम संगठन इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और आंदोलन तेज करने की योजना बना रहे हैं। समुदाय के नेताओं ने लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जारी रखने और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज बुलंद करने की अपील की है।
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